शनिवार, 6 अगस्त 2016

भगवान् महावीर के सिदान्तो के अनुगामी विजय रूपाणी जी के मुख्यमंत्री बनने पर हार्दिक शुभकामना ---

भगवान् महावीर के सिदान्तो के अनुगामी विजय रूपाणी जी के मुख्यमंत्री बनने पर हार्दिक शुभकामना ----
मित्रो कल जेसे ही श्री विजय जी रुपाणी के मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति के समाचार प्राप्त हुआ ! शोशल मिडिया फेसबुक व् व्हट्स अप पर सिर्फ गुजरात से ही नही देश विदेश से बधाई देने की होड़ मच गयी उसमे जैन समाज के बुद्धिजीवी व् ज्ञानी व् अज्ञानी महानुभाव भी थे साथ में काफी साधू संत भी ! जैन समाज की जागृति को नमन ! पहली बार अहसास हुआ अल्पसंख्यक जैन समाज भी कितना जागरूक है ! साथ में एक शंका भी हुई ! इंतनी संख्या में जैन समाज है कही अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त होने के पूर्व प्राप्त आंकड़े गलत तो नही क्यों की सब जगह जैन ही जैन दिख रहे है ! खेर में अहम् मुद्दे पर आता हु हजारो मेसेज मिले करीब मेरे जितने भी मेरे समूह व् मित्र है व्हट्स पर श्री विजय जी रुपाणी की करीब 170 फोटो से सुबह मोब की गेलेरी फुल हो गयी ! काफी शुभकामना सन्देश पढ़े कोई लिख रहा था गुजरात के पहले जैन मुख्यमंत्री तो स्पष्ट कर दू पहले भी जैन मुख्यमंत्री गुजरात को मिल चुके है या नही मेंरी जानकारी में नही ! हां अगर जैन अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री अगर कोई लिखते तो मान सकता की हम अल्पसंख्यक घोषित होने के बाद पहले जैन अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री श्री विजय जी रुपाणी ही है !मगर मेरे किसी ज्ञानी व् अज्ञानी व् बुद्धिजीवी मित्र ने यह नही लिखा की भगवान् महावीर के सिदान्तो के अनुगामी श्री विजय जी रुपाणी को हार्दिक शुभकामना ! पढ़े लिखे जैन समाज की विकृत मानसकिता पर सुबह से में मंथन कर रहा था ! क्या जैन सिर्फ जन्म से ही होता है ! जैन धर्म भगवान् महावीरके सिदान्तो का अनुगामी है भगवान् महावीर जेसे मेने शास्त्रों में पढ़ा भगवान् महावीर क्षत्रिय थे !तीस वर्ष की आयु में गृह त्याग करके, उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशुबलि, जात-पात का भेद-भाव जिस युग में बढ़ गया, उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। अपने अवदान से भगवान् महावीर जैन हुए ! आज हमारे सभी जैन साधू संत , आचार्य हमे जैन धर्म की परिभाषा इस प्रकार बताते है-‘‘कर्मारातीन् जयतीति जिनः’’, ‘‘जिनो देवता यस्यास्तीति जैनः’’ अर्थात् कर्मरूपी शत्रुओं को जिन्होंने जीत लिया है वे ‘‘जिन’’ कहलाते हैं और जिन को देवता मानने वाले उपासक ‘जैन’ माने गये हैं। अब जन्मजात जैन हो या कर्मणा जैन हो ! जो जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। सभी जैन मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को इन पंचशील गुणों का पालन करना अनिवार्य है। वही सच्चा जैनी है ! वेसे हमे नये मुख्यमंत्री की ही नियुक्ति पर भगवान् महावीर के आदर्शो के अनुगामी का सम्बोधन देकर शुभकामना प्रेषित करनी चाहिए ! क्यों की हमारा देश व् हमारी संस्कृति सर्वधर्म सदभाव में विश्वास करता है ! सिर्फ जैन धर्मी होने के कारण हमारे समाज / हमारे श्रावक कहकर शुभकामना प्रेषित न करे ! वरन भगवान् महावीर के सिदान्तो के अनुगामी श्री विजय जी रुपाणी को हार्दिक शुभकामना प्रेषित करे ! अगर सभी इन शब्दों का उपयोग करते तो शायद जैन / अजैन सभी इन्ही शब्दों में शुभकामना प्रेषित करते ! अंत में मेरी भी अनंत शुभकामना श्री विजय जी रुपाणी को की आप जैन धर्म के सिदान्तो पर चलते गुजरात प्रदेश की सेवा व् विकास करे ..... ...यही अपेक्षा
उत्तम जैन (विद्रोही )
प्रधान संपादक
विद्रोही आवाज

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