बुधवार, 17 अगस्त 2016

शब्द एक अर्थ अनेक

शब्द एक अर्थ अनेक
अपने शब्दों में ताकत डालें आवाज में नहीं !
बारिश से फूल उगते हैं, तूफ़ान से नहीं !!
हम ऐसे लोगों से बचें जो हमेशा निगेटिव सोचते और बोलते हों, और उनका साथ करें जिनका सकारात्मक नजरिया हो। और सबसे अहम बात , हम खुद से क्या बात करते हैं , स्वयं बोलने में हम कौन से शब्दों का प्रयोग करते हैं इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखें , क्योंकि ये “शब्द” बहुत ताकतवर होते हैं , क्योंकि ये “शब्द” ही हमारे विचार बन जाते हैं , और ये विचार ही हमारी ज़िन्दगी की हकीकत बन कर सामने आते हैं , इसलिए दोस्तों , शब्दों की ताकत को पहचानिये, जहाँ तक हो सके सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करिये , इस बात को समझिए कि ये आपकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं। आपको एक कहानी के माध्यम से शब्द की ताकत बताना चाहूँगा – एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, ” अरे छोटू , कहाँ जा रहे हो तुम ?”“मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ !”, चीता रोमांचित होते हुए बोला।“हा-हा-हा-“, लकड़बग्घा हंसा ,” अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं , तुम इतने छोटे हो , तुम्हे शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है , तुम क्या शिकार करोगे !!”लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया , दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा , कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा। अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला। कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पुछा  
आगे पढ़े 

कोई टिप्पणी नहीं: