शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

जीवन का नफा नुकसान

          
जीवन का नफा नुकसान
चार लाइन आज याद आ गयी ....उसी पर मेरे विचार
नुकसान देखले या अपना नफा देखले .
दिलसे तू मुहब्बत का फलसफा देखले .
बड़े बड़े धनकुबेर पल में कंगाल हो गए ,
मुस्कुराके जिसको तू एक दफा देखले .......
मित्रो! अध्यात्म जीवन जीने की प्रणाली है, जीवन जीने की प्रक्रिया है। मरने के बाद स्वर्ग मिलता है कि नहीं, यह मैं नहीं जानता,और में स्वर्ग नर्क में विश्वास भी नही करता लेकिन मैं यह जानता हूँ कि आध्यात्मिकता के सिद्धांतों को यदि हम जीवन में समाविष्ट कर सकते हों, तब हमारे चारों ओर स्वर्ग बिखरा हुआ दिखाई पड़ेगा। तस्वीर खींचने का यदि हमको सही ढंग मालूम हो, तो हम इस दुनिया की बेहतरीन तस्वीरें खींच सकते हैं और अपने आप की भी। हमारी भी तस्वीर बेहतरीन है, लेकिन यदि हमने दुनिया की खराब वाली तस्वीर देखना शुरू किया, अपना कैमरा कहीं गलत जगह पर फोकस कर दिया, तब हमको क्या चीजें मिलने वाली हैं? तब सबसे ऊपर की शक्ल या सिर आएगा या फिर पैर आएगा और यदि उसी आदमी को बैठाकर फोटो खींचेंगे, तो मालूम पड़ेगा कि कोई लम्बा-लम्बा भूत खड़ा हुआ है। कैमरे का लेन्स वही है, जिससे आपने व्यक्ति को सामने खड़ा करके फोटो लिया था। कैमरे का लेन्स वही है, जो आपने पीठ पीछे से लिया है, खड़ा करके। आपको दुनिया का नहीं, अपने अंतरंग जीवन का फोटो लेना है और उसके आधार पर अपनी शांति, सुख, समृद्धि का मूल्यांकन करना है। अध्यात्म को अपने जीवन का अंग बनाना है। साथियो! आध्यात्मिकता एक फिलॉसफी है- एक दर्शन है, सोचने- समझने की प्रणाली है, जीवन जीने की कला है। हमें अपनी समस्याओं के बारे में, कुटुम्ब के बारे में, अपनी महत्त्वाकाँक्षा के बारे में, अपने पुरुषार्थ के बारे में सोचना है। यदि हमारा विचार करने का क्रम ठीक हो, तो हम आपको आशीर्वाद दे सकते हैं कि आपका जीवन सुखों से भरा हुआ हो, आप प्रसन्न रहें, उन्नति करें। आपका जीवन उल्लास से भरा हुआ हो सकता है, यदि आपको सही ढंग से देखना आता हो तब। मान लीजिये किसी के कुटुम्बी की मौत होने वाली है। ठीक है आपको अपना भाई-भतीजा चाचा-ताऊ दादा-दादी प्यारे थे, लेकिन दूसरों को भी आवश्यकता हैं- अपने भाई-भतीजों को गोद में खिलाने की। यदि हम उनको चिपकाकर रखेंगे, तो किसी के घर ढोलक कैसे बजेगी? मिठाई कैसे बाँटी जाएगी? कोई माता अपने लाल को कैसे निहारेगी? अपने लाल को पाकर कैसे धन्य होगी? एक का आनंद-दूसरे का शोक, एक का नफा-दूसरे का नुकसान-यही दुनिया का क्रम है। भाइयों कई बार बड़े-बड़ों से गलती हो जाती है। लोग नफे को नुकसान समझ लेते हैं नुकसान को नफा समझ लेते हैं। बीज बोया जाता है जमीन में तो यह मालूम पड़ता है कि नुकसान हो गया। बीज चला गया। बीज कितने दाम का आता है महँगा आता है आजकल लेकिन बीज नुकसान हो गया लेकिन जब उसकी फसल तैयार होकर आती है कोठे और कुठीले भर जाते हैं तब मालूम पड़ता है कि नहीं गलती नहीं हुई थी यह ठीक सलाह दी गई थी हमको। हमको बीज बोने की सलाह देकर हमारा बीज छीना नहीं गया था नुकसान की तरफ ढकेल नहीं दिया गया था। इसी तरह जीवन में सुख से जीने के लिए कष्ट व् दुःख व् समर्पंण रूपी बीज आपको समाज , परिवार , मित्रो , व्यापार , गुरु भक्ति के लिए बोने होंगे फिर देखिये कुछ दिनों बाद ख़ुशी व् सफलता रूपी फसल लहलहाने को तेयार हो जाएगी ! जीवन में खुशिया ही खुशिया प्राप्त होगी !
उत्तम जैन (विद्रोही )

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