मन एक ऐसी शक्ति है जो आपको एक सेंकंड में कहा से कहा तक हजारो मील की यात्रा करा देता है !हम अपने घर पर बेठे देहली , अमेरिका तक की यात्रा मन से क्षणों में कर के आ जाते है ! इसे हम कह सकते भटकता मन ! मनुष्य का मन कितनी जल्दी भटकता है । ये नही तो वो सही वो नही तो ओर सही । यहाँ से मिला तो ठीक नही तो कोई दूसरा दरबार देखते है । शिव पे जल चडाया , कोई काम नही बना , तो चलो हनुमान जी की उपासना करते ही। उधर कुछ नही मिला तो साईबाबा को पकडतेे है । बस चक्र व्यूह मे भटकते ही रह जातेहै ।जीवन में मैने बहुत बार अनुभव किया जब में किसी भी व्यक्ति से मिलता हुँ तो वह अपने दुःखो का वर्णन करता है बार बार एक ही बात दोहराता है कि “मै बडा दुःखी हुँ” , या फिर कहेगा कि “ठीक हुँ पर आप जैसा सुखी नही हुँ” यह एक आदमी की सोच नही है यह सब लोगो की सोच हो गई है, सब कुछ है फिर भी कुछ भी नही है! महात्मा लोग कहते है कि यह सब मन का भटकाव है मन मे ही तरह तरह के सुख और दुख की तरंगे निकलती रहती है आधुनिक विज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि ये सब मन मे उठने वाली तरंगे है इन को शांत करने से सुख दुख का अहसास नही होता !चिकित्सा करते समय कई बार ऐसी दवा का प्रयोग किया जाता है जो दर्द का अहसास नही होने देती, अब देखो दर्द तो है लेकिन दर्द का अहसास नही हो रहा क्योकि नर्वस सिस्टम को बंद कर दिया गया मस्तिष्क तक सुचनाये नही पहुँच रही इस लिये दर्द नही हो रहा है, इसी प्रकार मन का भी यह ही हाल है हम जब मन की परिवेदनाये मस्तिष्क को पहुँचाहते है तो फिर सुख और दुख उत्पन्न होते है !”यह सब कहने की बाते है कोई भी इस जगत मे नही है जिसका मन भटकता नही हो”मेरे एक मित्र ने मुझसे तत्काल ही पुछ लिया -“क्या आप जानते है ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो सुख दुख से दूर हो ?” मै सोचने लगा कि मेरी जान पहचान मे तो कोई भी ऐसे व्यक्ति का सामना नही हुआ फिर लोग क्यो हजारो उदाहरण देते है कि फलाँ आदमी ऐसा था, इसकी क्या वजह है , मै भी बैठा बैठा सोचता रहता हुँ कि कौन होगा ऐसा जो सुख दुख से दूर हो !क्या परमात्मा के नाम पर दुकान चलाने वाले ऐसे होते है,या फिर जो पागल हो गये वे लोग ऐसे है, पागल हो सकते है क्योकि उनका मस्तिष्क काम नही करता होगा शायद, क्योकि दिमाग की क्रिया खराब हो जाती है तभी तो वह पागल कहलाता है और महात्मा जो दुकान चलाते है वे भी ज्यादातर भांग या गांजा के नशे मे धुत्त रहते है इसलिये उनका दिमाग भी कम ही काम करता है ,इस लिये दिमाग तक परिवेदनाये जाती नही है और सुख दुख का अहसास होता ही नही है चाहे ये घटना कुछ देर तक ही क्यो ना, होती जरूर है , तब तो सभी नशेडी आगे पढ़े
गुरुवार, 25 अगस्त 2016
ये भटकता मन
मन एक ऐसी शक्ति है जो आपको एक सेंकंड में कहा से कहा तक हजारो मील की यात्रा करा देता है !हम अपने घर पर बेठे देहली , अमेरिका तक की यात्रा मन से क्षणों में कर के आ जाते है ! इसे हम कह सकते भटकता मन ! मनुष्य का मन कितनी जल्दी भटकता है । ये नही तो वो सही वो नही तो ओर सही । यहाँ से मिला तो ठीक नही तो कोई दूसरा दरबार देखते है । शिव पे जल चडाया , कोई काम नही बना , तो चलो हनुमान जी की उपासना करते ही। उधर कुछ नही मिला तो साईबाबा को पकडतेे है । बस चक्र व्यूह मे भटकते ही रह जातेहै ।जीवन में मैने बहुत बार अनुभव किया जब में किसी भी व्यक्ति से मिलता हुँ तो वह अपने दुःखो का वर्णन करता है बार बार एक ही बात दोहराता है कि “मै बडा दुःखी हुँ” , या फिर कहेगा कि “ठीक हुँ पर आप जैसा सुखी नही हुँ” यह एक आदमी की सोच नही है यह सब लोगो की सोच हो गई है, सब कुछ है फिर भी कुछ भी नही है! महात्मा लोग कहते है कि यह सब मन का भटकाव है मन मे ही तरह तरह के सुख और दुख की तरंगे निकलती रहती है आधुनिक विज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि ये सब मन मे उठने वाली तरंगे है इन को शांत करने से सुख दुख का अहसास नही होता !चिकित्सा करते समय कई बार ऐसी दवा का प्रयोग किया जाता है जो दर्द का अहसास नही होने देती, अब देखो दर्द तो है लेकिन दर्द का अहसास नही हो रहा क्योकि नर्वस सिस्टम को बंद कर दिया गया मस्तिष्क तक सुचनाये नही पहुँच रही इस लिये दर्द नही हो रहा है, इसी प्रकार मन का भी यह ही हाल है हम जब मन की परिवेदनाये मस्तिष्क को पहुँचाहते है तो फिर सुख और दुख उत्पन्न होते है !”यह सब कहने की बाते है कोई भी इस जगत मे नही है जिसका मन भटकता नही हो”मेरे एक मित्र ने मुझसे तत्काल ही पुछ लिया -“क्या आप जानते है ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो सुख दुख से दूर हो ?” मै सोचने लगा कि मेरी जान पहचान मे तो कोई भी ऐसे व्यक्ति का सामना नही हुआ फिर लोग क्यो हजारो उदाहरण देते है कि फलाँ आदमी ऐसा था, इसकी क्या वजह है , मै भी बैठा बैठा सोचता रहता हुँ कि कौन होगा ऐसा जो सुख दुख से दूर हो !क्या परमात्मा के नाम पर दुकान चलाने वाले ऐसे होते है,या फिर जो पागल हो गये वे लोग ऐसे है, पागल हो सकते है क्योकि उनका मस्तिष्क काम नही करता होगा शायद, क्योकि दिमाग की क्रिया खराब हो जाती है तभी तो वह पागल कहलाता है और महात्मा जो दुकान चलाते है वे भी ज्यादातर भांग या गांजा के नशे मे धुत्त रहते है इसलिये उनका दिमाग भी कम ही काम करता है ,इस लिये दिमाग तक परिवेदनाये जाती नही है और सुख दुख का अहसास होता ही नही है चाहे ये घटना कुछ देर तक ही क्यो ना, होती जरूर है , तब तो सभी नशेडी आगे पढ़े
सफलता की कुंजी है – व्यक्तित्व विकास
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मंगलवार, 23 अगस्त 2016
आधुनिक युग का तेरापंथ धर्म संघ —एक परिचय
सोमवार, 22 अगस्त 2016
तप की साधना और शरीर को फायदा
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रविवार, 21 अगस्त 2016
महावीर इंटरनेशनल द्वारा रोग निवारण केम्प का आयोजन
महावीर इंटरनेशनल द्वारा आयोजित नैत्र, डायबिटीज व ब्लडप्रेशर रोग निवारण केम्प में 430 मरीज लाभांविन्त, 310 मरीजों को प्रदान किए नजर के चश्मे
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सूरत 21 अगस्त
'सब को प्यार' 'सब की सेवा' व 'जीओ और जीने दो' के परम् मानवता वादी सिद्धांत के साथ महावीर इंटरनेशनल की सूरत शाखा द्वारा रविवार 21 अगस्त को मजदूर बाहुल्य विस्तार पांडेसरा स्थित नव निर्मित तेरापंथ भवन में मेडिकल केम्प का आयोजन किया गया, न्यू सिविल हॉस्पिटल के सहयोग से आयोजित इस नेत्र रोग -ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जाँच एंव उपचार शिविर में डायबिटीज एंव नेत्र रोग से ग्रसित 430 मरीजों का पंजीकरण किया गया, जिसमें 310 मरीजों को नजर के चश्मे प्रदान किए गए एंव 162 रोगियों की डायबिटीज एंव ब्लड प्रेशर रोग की जांच कर उन्हें दवाईयां प्रदान की गई, इस अवसर पर महावीर इंटरनेशनल के अध्यक्ष वीर आनंदीलाल हिंगड़, उपाध्यक्ष वीर यशवन्त सुराणा, सचिव वीर दिनेश सामर, वीर अनिल बरडिया, तथा गुजरात के झोन चेयरमेन वीर गणपत भंसाली, गवरनिंग काउन्सिल के आमन्त्रित सदस्य वीर सुरेन्द्र मरोठी, व पूर्व झोन चेयरमेन वीर डॉ रोशन बाफना, वीर एस एल डांगी, पूर्व अध्यक्ष डॉ एम् के वाडेल, वीर मुकेश जैन, वीर गणेशन, वीर नरपत शेखानी आदि पदाधिकारियों के अलावा तेरापंथ समाज पांडेसरा के अध्यक्ष श्री भंवरलाल बाबेल, मंत्री श्री उत्तम सोनी, तेरापंथ युवक परिषद उधना के श्री मुकेश बाबेल तथा श्री विनोद सिसोदिया तथा डॉक्टर वानखेड़े आदि महानुभाव उपस्थित थे, मेडिकल केम्प का शुभारम्भ संगठन की प्रार्थना एंव दीप प्रज्वल्लन कर किया गया। स्त्रोत .. गणपत जी भंसाली
शुक्रवार, 19 अगस्त 2016
बेटियो पर नाज
गुरुवार, 18 अगस्त 2016
समस्या बहुत है नजर तो डालो पल में समाधान
यों तो देश में समस्याओं की कमी नहीं। जहां नजर डालो, वहां समस्या। कुछ समस्याएं तो ऐसी, जिनका कोई भी, कैसा भी समाधान खोज लीजिए फिर भी समस्या का दंश बना ही रहता है। हमारी राजनीति में तो अनेक प्रकार की समस्याएं हैं, अगर हर एक का निदान करने बैठे तो सालों लग जाएंगे। पर इसकी भी कोई गारंटी नहीं कि समस्या सुलझ ही जाए।तमाम छोटी मोटी समस्याओं के बीच इधर दो-तीन प्रकार की समस्याओं को मैं बहुत शिद्दत से महसूस कर रहा है। ऐसी लगता है, उन समस्याओं के समाधान के बगैर हमारी जिंदगी बेगानी-सी है। मतलब, हम अब पारिवारिक रिश्तों से कहीं ज्यादा उन समस्याओं के विषय में सोचने लगे हैं।ये समस्याएं अनेक प्रकार की हैं और हम उन समस्या से परेशान रहते है !मगर उसके समाधान के लिए काफी कम्पनिया जागरूक है जेसे आपका स्वास्थ्य से सम्बन्धित कोई समस्या है घबराने की जरुरत नही 5 -7 समाचार पत्र खरीद लीजिये टीवी चेनल देख लीजिये सारा अखबार व् टीवी चेनल तरह-तरह के तेलों और कैप्सूलों के विज्ञापनों से भरा पड़ा रहता है। विज्ञापनों में छपने वाले फोटू व् विज्ञापन इस तरह ‘उत्साहित’ कर देते हैं कि वो फलां तेल या कैप्सूल लेने से आप के साथ जादू सा असर करेगा और दो दिन में समस्या गायब । ऐसा लगता है, इंसान की समस्त शारीरिक कमजोरी का समाधान तेल और कैप्सूल में छिपा पड़ा है। एक कुछ दिनों पूर्व एक केश तेल का विज्ञापन पर मेरी नजर पड़ी उसमे चेतावनी दी हुई आपके झड चुके बाल 7 दिन में उगाये और साथ में चेतावनी बालो में तेल डालकर हाथ अच्छे से धोये हथेली पर बाल उग सकते है ! गजब के भ्रामक विज्ञापन समझ में नही आता जन सामान्य को मुर्ख बनाने का क्या तरीका आजमाया जाता है ! बालों के झड़ने की समस्या.... आगे पढ़े
अनुशासनहीनता आज की मुख्य समस्या
बुधवार, 17 अगस्त 2016
भाई बहन का रिश्ता – रक्षाबंधन
शब्द एक अर्थ अनेक
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