शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

पल का उपयोग – सकारात्मक सोच

हम जब भी बाजार से कोई खाने पिने या दवा खरीदते है उस पर लिखी उत्त्पाद तिथी व् अवसान तिथी पहले देखते है !क्युकी हम पहले से अधिक जागरूक हो गए है ! साथ में हम यह भी देखते है की इस वस्तु में कोई हानिकारक तत्व तो मौजूद नही ! इसी प्रकार से हम सभी के जीवनों पर प्रयोग हो सकने वाली तिथि लिखी हुई है – बस हम में से कोई उस तिथि को जानता नहीं है; हमें पता नहीं है कि हमारा हृदय किस तिथि तक ही कार्य करेगा और फिर सदा के लिए बैठ जाएगा, या हमारी अन्तिम श्वास किस पल ली जाएगी और फिर किस रीति से सदा के लिए थम जाएगी। जब यह सत्य सभी के जीवनों के लिए अवश्यंभावी है, तो क्या हम सब को उन पलों का जो हमें दिए गए हैं, मन लगा कर सदुपयोग नहीं करना चाहिए? पलों के उपयोग से मेरा तात्पर्य है हम और गहराई तथा अर्थपूर्ण रीति से सच्चा प्रेम दिखाएं, औरों को क्षमा करने में तत्पर रहें, दूसरों की सुनने वाले बनें, खराई किंतु मृदुभाव से बोलने वाले बनें, इत्यादि। क्योंकि हम में से कोई भी अपने उपयोगी रहने की अन्तिम तिथि नहीं जानता, इसलिए प्रत्येक पल को बहुमूल्य जानकर, हर पल का उपयोग त्याग ,संयम, साधना , सतकर्म , प्रेम से प्रसार कर संसार को और अधिक उज्जवल तथा सुन्दर बनाने के लिए करने वाले बन जाएं। जब हम अपने परिवेश व दिनचर्या को देखते हैं तो पाते हैं कि हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण और आस-पास गणित ही गणित है। ये खुशियां हमें यूं ही सौगात में कोई नहीं दे देगा। उन्हें हमें पथरीले जीवन, कांटोंभरी जिंदगी के बीच से फूलों के समान चुनना होगा। जीवन में परेशानियां सभी को आती हैं, लेकिन जीवन सफल उसका है, जो परेशानियों का हिम्मत से सामना करते हुए जीवन में खुशियां ढूंढ लेते हैं ! …..आज के जमाने में खुशियां हासिल करना कांटों के बीच से फूल ......
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